वर्मीकम्पोस्ट: टमाटर और बैंगन के खेती में उपयोग के फायदे
वर्मीकंपोस्ट बनाने से पहले सावधानी बरतें, जानें टमाटर और बैंगन में इसका प्रभाव
वर्मीकंपोस्ट एक प्राकृतिक उर्वरक है, जिसका उपयोग कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए किया जाता है और साथ ही मिट्टी को भी स्वस्थ रखता है। इसके कोई भी अवशेष मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन इसे तैयार करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
वर्मीकंपोस्ट एक तरल जैविक खाद है, जिसमें केचुआ (एर्थवॉर्म्स) द्वारा छोड़े गए हॉर्मोन, पोषक तत्व और एंजाइम से बनता है। इसमें पौधों को रोगों से बचाने की क्षमता होती है और पौधों को पोषण प्रदान करता है। यह घुलनशील होता है और पौधों को पोषक तत्वों में आसानी से प्रदान करता है। इसमें प्रमुख पोषण तत्वों जैसे कि घुलनशील पोटाश, नाइट्रोजन, और फॉस्फोरस मौजूद होते हैं। इसके अलावा, यहां पर ऑक्सीजन और साइटोकाइनिन, विटामिन, अमिनो एसिड, और विभिन्न प्रकार के एंजाइम्स भी होते हैं। इसके अलावा, इसमें नाइट्रोजन फिक्सेसन करने की क्षमता भी होती है।
वर्मीकंपोस्ट का उपयोग अनाज और दलहनी फसलों में किया जाता है। इससे उनकी गुणवत्ता में सुधार होती है और उनका उत्पादन बढ़ जाता है। वर्मीकंपोस्ट का इस्तेमाल से फसलों में फलने और फूलने की प्रक्रिया तेजी से होती है और उनकी गुणवत्ता भी बढ़ती है। इससे फसलें और सब्जियों को रोगों से बचाया जा सकता है और यह एक अच्छा रोगरोधक पदार्थ भी होता है। वर्मीकंपोस्ट से उत्पन्न किए गए उत्पादों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों की कमाई बढ़ती है।